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श्री परमहंस राममंगलदास जी द्वारा लिखित दिव्य ग्रन्थ तथा कथाएँ

श्री परमहंस राममंगलदास जी महाराज को श्री भगवान, देवी देवताओं तथा सब धर्मों के अजर अमर सिद्ध सन्तों ने प्रत्यक्ष प्रकट होकर जो आध्यात्मिक पद लिखवाये हैं वे श्री महाराज जी ने चार दिव्य ग्रन्थों में लिखे हैं।

दिव्य ग्रन्थों को वेबसाइट पर पढ़ने की विधि

श्री महाराज जी के "दो शब्द" 

भूमिका

दिव्य ग्रन्थ १: "श्री राम कृष्ण लीला भक्तामृत चरितावली"

  मूल क्रमानुसार वर्णमाला क्रमानुसार

दिव्य ग्रन्थ १ - भाग २: "श्री राम कृष्ण लीला भक्तामृत चरितावली"

  मूल क्रमानुसार वर्णमाला क्रमानुसार

दिव्य ग्रन्थ २: "श्री भक्त भगवन्त चरितामृत सुखविलास"

  मूल क्रमानुसार वर्णमाला क्रमानुसार

दिव्य ग्रन्थ ३: "श्री संत भगवन्त कीरति "

मूल क्रमानुसार वर्णमाला क्रमानुसार

दिव्य ग्रन्थ ४:"श्री हरि चरित्र भक्तन चरित्र"

मूल क्रमानुसार वर्णमाला क्रमानुसार

वैकुण्ठ धाम के अमृत फल 

मूल क्रमानुसार वर्णमाला क्रमानुसार

 

दिव्य ग्रन्थों को वेबसाइट पर पढ़ने की विधि

पाठकों से अनुरोध है कि ग्रन्थों को पढ़ने से पहले सर्वप्रथम वे श्री महाराज जी के "दो शब्द' पढ़ें जिसमें इन समस्त ग्रन्थों की रचना कैसे हुई, यह लिखा है। इन दिव्य ग्रन्थों की कुछ विशेषताओं का वर्णन 'भूमिका' में किया गया है, जिसे भी पाठक अवश्य पढ़ें।

दिव्य ग्रन्थों तथा कथाओं को दो प्रकार से पढ़ा जा सकता है - 'मूल क्रमानुसार' तथा 'वर्णमाला क्रमानुसार'। यदि आप संतों के पद उस क्रम में पढ़ना चाहते हैं जिस मूल क्रम में संत श्री महाराज जी के समक्ष प्रकट हुये थे तथा जिस क्रम में मूल दिव्य ग्रन्थ लिखे हुये हैं, तो 'मूल क्रमानुसार' पर क्लिक करें। किन्तु यदि आप वर्णमाला के क्रम में संतों के नाम ढूंढ़कर उनके पद पढ़ना चाहते हों। तो 'वर्णमाला क्रमानुसार' पर क्लिक करें।