श्री गुरु-महिमा
॥ भगवान श्री रामचंद्र जी ॥
दोहा: श्री गुरु महिमा को कहै, अति ही ऊँच मुकाम।
ताते गुरु पद को करौं, बार बार परनाम ॥
॥ श्री राधा जी ॥
दोहा: गुरू कहत हैं कौन को, जाको गुरू हैं नाम ॥
नाम रूप लीला ललित, देखैं सुन्दर धाम ॥
शब्द सनेही गुरु वही, जानै अन्तर नाम ॥
ऐसे गुरु को कीजिये, बार बार परनाम ॥
भगवान श्री रामचंद्र जी तथा श्री राधाजी ने स्वयं प्रकट होकर श्री परमहंस राम मंगल दास जी को यह दोहे कहे हैं जो श्री परमहंस राम मंगल दास जी ने "श्री राम-कृष्ण लीला भक्तामृत चरितावलीः दिव्य ग्रन्थ-1" में लिखे हैं।
यह संसार के सब सत्गुरुदेवों के लिये है ।