भूमिका
ऐहैं कृष्णदास पयहारी। कहिहैं हरि चरित्र सुखकारी।
तब यह चरित समापति होई। भरिहैं प्रभु यश तत्वनि चोई॥
और वास्तव में चतुर्थ ग्रन्थ जिसकी समापन तिथि १२.३.५८ पड़ी है उसमें अन्तिम संत पयहारी जी ही हैं जिन्होंने दिव्य रामायण लिखवाई है। इसके कई वर्ष पश्चात् जब श्री महाराज जी ८२ की अवस्था में माँ भगवती की आज्ञा से भक्तों की कथाएँ लिख रहे थे तब एक सन्त प्रगट हुये और उनसे सत्संग करने लगे। श्री महाराज जी ने कहा "आप हमें जानते होते तो जब हमारा शरीर ठीक था तब आते तो हमको बताते तो हम सब लिख लेते, कितने दिन लगते", तो कहा "मैं आपको जानता था लेकिन आ नहीं सके, सब काम भगवान की आज्ञा से होते हैं।"
इससे सिद्ध होता है कि इन सारे दिव्य ग्रन्थों की रचना कैसे भगवान की इच्छा से इतने व्यवस्थित रूप से हुई है। एक ही विषय पर बोलने वाले संत एक ही साथ एक क्रम में प्रकट हो कर लिखवाते थे। फिर वे यह भी कहते थे कि अमुक विषय पर आपको वे संत लिखवा चुके है। जैसे, श्री ईसा मसीह जी ने शंकर जी, शुकदेव जी व गुरु नानक जी का उल्लेख किया है।
श्री गुरुदेव महाराज जी ने इन ग्रन्थों को १९३३ ई० से आश्रम में पूज्यनीय रूप से सुरक्षित कर रखा था। गुरुदेव अक्सर इन ग्रन्थों का भक्तों से पाठ करवाते। कुछ भक्तों को इन ग्रन्थों से कुछ पद उतार कर लिख लेने की आज्ञा देते। इन ग्रन्थों के कुछ अंश श्री महाराज जी की अनुमति से छपवाये गये पर पूरे ग्रन्थ अप्रकाशित ही रहे। अब २००१ ई० में भगवान की असीम कृपा से तथा गुरुदेव श्री परमहंस राम मंगल दास जी के आशीर्वाद से उनका समस्त दिव्य साहित्य सर्व जगत कल्याण के लिये वेबसाइट पर लाया जा रहा है।
विश्व के इन अलौकिक ग्रन्थों में भगवान के नाम की महिमा, सद्गुरु महिमा, सुरति शब्द योग, भगवान को पाने के अनेक मार्ग, उनमें आनेवाली स्थितियाँ व अनुभव, ध्यान की विधियाँ, विभिन्न अनहद नाद, पूजन की विधियाँ, सब कमलों, चक्रों व नाड़ियों का वर्णन है। भगवान, देवी-देवताओं के स्वरूप तथा सब लोकों का वर्णन किया गया है। पूज्य ग्रन्थों - श्री राम चरित मानस, गीता, कुरान, गुरु ग्रन्थ साहब के दिव्य रूप से लिखे जाने का समय बताया गया है। जैसे, श्री हनुमान जी ने लिखाया है कि श्री रामचरित मानस की रचना वि०सं० १६३१ चैत रामनवमी, मंगलवार के दिन विष्णु भगवान तथा सब देवी-देवताओं के समक्ष शंकर भगवान द्वारा दी हुई दिव्य लेखनी के द्वारा तुलसीदास जी ने सुबह ८ बजे से शाम ४ बजे के बीच सम्पन्न की।
इसके अतिरिक्त प्रत्येक जन के जीवन में पालन करने के लिये अनेक सहज साधन व बातें बताई गयी हैं, जिनसे सबका कल्याण होगा।