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४०२ ॥ श्री बन्दे शाह जी ॥


पद:-

मन है बंध मोक्ष का कारण।

सतगुरु करि सुमिरन बिधि जानो जो भव ताप निवारन।

ध्यान प्रकाश समाधि नाम धुनि सन्मुख अधम उधारन।

अमृत पिओ सुनौ घट अनहद सुर मुनि करैं दुलारन।

नागिन चक्र कमल जगि जावैं निरखौ सब औतारन।५।

अन्त त्यागि तन निज पुर बैठौ छूटै गर्भ क धारन।

शान्त दीन ह्वै भक्त जाव बनि करो नाम का पारन।

बन्दे शाह कहैं नहिं मानो करै काल चट मारन।८।