साईट में खोजें

३४९ ॥ श्री अचल सिंह जी ॥


पद:-

सात पांच चौपाई पढ़िये श्री मानस की नर नारी।१।

सीता राम देंय तब दर्शन संग लखौ सुर मुनि झारी।२।

पढ़ना सुनना तन मन प्रेम से तब पाओ यह सुख भारी।३।

नाहीं तो अन्धे के अन्धे सत्य कहौ मैं दै तारी।४।