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२४०॥ श्री लाला राम सहारे दास जी॥


पद:-

सतगुरु करि गगन में ध्यान धरो।

सूरति शब्द क मारग है ता को ख्याल करो।

धुनि खुलि जाय होय सब करतल जियतै फेरि तरो।

दीन जानि करिकै उपदेशौ जीवन दु:ख हरौ।

कसनी कितनी परै सहौ सब तन मन से न टरौ।

शूर बीर रणधीर होहु तब जब यह समर लरौ।६।