साईट में खोजें

१४७ ॥ श्री सुदामा सिंह जी ॥


पद:-

चलती राम नाम की आंधी।

हर दम एक तार रहै जारी सकत नहीं कोइ बांधी।

ध्यान प्रकाश समाधि इसी में अद्भुद है यह बाधी।

राम सिया को सन्मुख लाय के देवै यारों साधी।

सुर मुनि सब के दर्श करावै या को सबन अराधी।५।

परिपूरन सब में यह बानी जैसे दाल में गांधी।

सतगुरु करि जप की बिधि जानै तौन सकै यह साधी।

मानुष का तन पाय अन्न जल करि जिन पेट को धांधी।

नाम धर्म कछु जानेव नाहीं जम काटैं दोउ कांधी।

जिन जियतै सब करतल कीन्ह्यो कर्म दियो दोउ रांधी।१०।

तिन को मुद मंगल दोनो दिशि छूटी सकल उपाधी।

कहैं सुदामा सिंह चेत करि सब जन चीन्हो आंधी।१२।