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१४६ ॥ श्री हक्कल शाहजी ॥


पद:-

सिर हटर हटर, कान सनर सनर, आंखैं चपर चपर, लीवर पचर पचर,

आँसू टपर टपर, नाक सरर सरर, हाय हाय बप्पा।

मुख हपर हपर, लार भलर भलर, गला खरर खरर, कर मचर मचर,

सीना धकर धकर, पेट फकर फकर, हाय हाय बप्पा।

कटि खटर खटर, इन्द्री लचर लचर, गुदा परर परर, गांठी चटर चटर,

पग धसर धसर, अँगुली पटर पटर, हाय हाय बप्पा।

खाल चरर चरर, लाठी पकर पकर, चलैं संभर संभर, गिरैं डगर डगर,

रोवैं सपर सपर, मन लबर लबर, हाय हाय बप्पा।४।


दोहा:-

गपड़ सपड़ में दिन गये जानिनि नहिं हरि नाम।

लपड़ झपड़ जम मारि कै लै गे अपने धाम॥