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१४८ ॥ श्री जमुना बाई जी ॥


पद:-

कन्हैया तेरो मुरहा ह्वै गो माई।

दूध दही माखन सब लूटत मटुकी देत बहाई।

हम सब दौरें पकरि न पावैं ऐसी करत कुदाई।

आय झपटि फिर सारी पकड़ैं गोटा लेत छुटाई।

घेंघरा पकड़ि कबहुँ बैठारत मुख चूमत लिपटाई।५।

बंसी से दोनों कुच टोवत पूछत का भरि लाई।

ग्वाल बाल कहैं हमरो ही सा ऐसी सीख सिखाई।

निज घर में तो छोट रहत है हम सब संग बढ़ि जाई।

कौन भांति हम करैं गुजारा चलत न कछु चतुराई।

पांच वर्ष की बयस है नीकी कहं विद्या यह पाई।१०।

आप कि गोद में दूध पियत पर बाहेर करत ढिठाई।

जमुना कहै सखी बहु हंसि हंसि बचन कहैं सुखदाई ।१२।