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९२ ॥ श्री गरीबा जान जी ॥


पद:-

करि दीजै दया गिरिधारी। बनवारी मुरारी बिहारी॥

सुखकारी तुम्हारी बलिहारी। छबि प्यारी तन वारी निहारी॥

लगै तारी केवारी उघारी। धुनि जारी उजियारी लै प्यारी॥

मैं नारी दुखारी भिखारी। अब बारी हमारी भवपारी।८।

शेर: प्रेम में तन मन मिला दो श्याम को हर दम लखौ।

कहती गरीबा जान करि मुरशिद अमी अनुपम चखौ॥