९१ ॥ श्री सुनारी साह जी ॥
पद:-
सतगुरु करि लीजै देर न कीजै आयू छीजै यार जुटौ।
हो प्रेम कसौटी स्वांस मंझौटी दुइ तब छूटी आप मिटौ।
धुनि नाम कि जारी हो उजियारी ध्यान सुखारी लय में सटौ।
तन मन दो वारी कहैं स्वनारी लखौ मुरारी अन्त अटौ।४।
पद:-
सतगुरु करि लीजै देर न कीजै आयू छीजै यार जुटौ।
हो प्रेम कसौटी स्वांस मंझौटी दुइ तब छूटी आप मिटौ।
धुनि नाम कि जारी हो उजियारी ध्यान सुखारी लय में सटौ।
तन मन दो वारी कहैं स्वनारी लखौ मुरारी अन्त अटौ।४।