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८८७ ॥ श्री गूँगी बाई जी ॥


पद:-

करो सतगुरु मिलै दर्शन पास ही राम सीता जी।१।

प्रेम तन मन से जहँ लागै सत्य के हैं वो मीता जी।२।

देव मुनि पाठ करते नित सुनो मानस औ गीता जी।३।

कहैं गूँगी नाम रस पी वही जग आय जीता जी।४।