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८८६ ॥ श्री पगली माई जी ॥


पद:-

निरगुन सगुन सरकार एकै दुइ कहैं ते मूढ़ है।१।

सतगुरु बिना पैड़ा मिलै नहि ज्ञान यह अति गूढ़ है।२।

तन मन से प्रेम लगाय कै जे नाम में आरूढ़ हैं।३।

कहती बचन पगली वही दोनो जहां में बूढ़ हैं।४।