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८७५ ॥ श्री शिव रानी जी ॥


पद:-

परजा को जो सतावै राजा नहीं वह मनियां।

जो बचन कहके पलटै वह नर नहीं है धनियां।

जो जियति नहीं लखावै वह गुरु नहीं है बनियां।

हरि नाम जो न जानै सो नर्क जाय सनियां।

हरि नाम में हमेशा जिसकी लगी लगनियां।५।

उसका हो पार बेड़ा जग में वही है गुनियां।

धुनि ध्यान नूर लै हो श्री राम सीता रनियां।

साकेत अन्त जावै कहती बचन शिव रनियां।८।