८७४ ॥ श्री नियाज़ हुसेन जी ॥
पद:-
ज़िन्दगी का भरोसा क्या भजन हरि का करो दादा।
न मानो अन्त हो दोज़क पड़े कल्पों सड़ौ दादा।
करो मुरशिद मिलै कूचा जियति ही भव तरौ दादा।
ध्यान धुनि नूर लै पावो रूप सन्मुख खड़ो दादा।
देव मुनि आय दें दर्शन प्रेम सब से करो दादा।५।
एकता होय तन मन की तो फिर क्यों कर गिरो दादा।
जहां में जब तलक रहिये दीन लखि दुख हरौ दादा।
सदा निर्बैर औ निर्भय नाम रस्सी बरौ दादा।८।
शेर:-
अरमान बांधने से नहीं काम सरैगा।
मानो कहा नहीं तो इलज़ाम लगैगा।१।
मुरशिद के कदम चूमौ दिलदार मिलैगा।
तन मन औ प्रेम एक हो सो जियति मरैगा।२।