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६६४ ॥ श्री जगदम्बा दीन जी ॥


पद:-

मैं नहिं सखिन सताई सुनु मेरी माई।

भोर होत माखन रोटी लै गौवन संघ बन जाई। सुनु मेरी माई।

ग्वाल बाल बुलवाए के पूछौ काहे मो पै रिसाई। सुनु मेरी माई।

दिन भर गौवन के संग डोलैं साँझ होत डगराई।सुनु मेरी माई।

जमुना जी में नीर पियाए के बाड़न पहनौ लाई। सुनु मेरी माई।५।

निज निज खूंटन रसरिन में फिरि बाँधै दौर लगाई। सुनु मेरी माई।

तब फिर गृह को आवैं बैठैं संगै दोनों भाई। सुनु मेरी माई।

गोदोहन फिरि चलैं यहां से लै कर ल्यटुरा धाई। सुनु मेरी माई।

दूध गारि कै गृह में लावैं आप को देंय थमाई। सुनु मेरी माई।

पिता संग दोउ भ्राता भोजन करि फिरि पौढ़ैं जाई। सुनु मेरी माई।१०।

राति को होश रहै नहि नेकौं ऐसी चढ़त थकाई। सुनु मेरी माई।

चारि बजै आपै हो जगौती तबहूँ न नींद सेराई। सुनु मेरी माई।

आँखी मुख तब आप धोय के कनियां लेत उठाई। सुनु मेरी माई।

कौनै समय सखिन से बोलैं आपै देहु बताई। सुनु मेरी माई।

माता तुम तो भोली भाली व्रज की चतुर लुगाई। सुनु मेरी माई।१५।

हम को देखन के हित ओरहन झूठै सब लै आई। सुनु मेरी माई।

फाटक बंद कराय के माता इनको देहु पिटाई। सुनु मेरी माई।

तब इन सब की झूठी बातैं छूटि जांय दुखदाई। सुनु मेरी माई।

नाहिं तो हम लैकर सांटी पीटब आह बुताई। सुनु मेरी माई।

या तो कसम खाँय तब जावैं अब न कहन कछु आई। सुनु मेरी माई।२०।

शांति प्रेम से आवैं जावैं तब तो भली भलाई। सुनु मेरी माई।

झगड़े का इन्साफ जाय ह्वै तब सब पावैं जाई। सुनु मेरी माई।

नाहीं तो हम तुम्हरे घर में रहब न सुनिये माई। सुनु मेरी माई।

इन सब के हैं बालक गोरे हम में कौन लुनाई। सुनु मेरी माई।

मैं कारो सब जग से न्यारो बिधि मोहि ऐस बनाई। सुनु मेरी माई।२५।

आय आय सब लाय बहाना टोना देंय लगाई। सुनु मेरी माई।

राई लोन उतारि के माता अगिनि में देहु ढिलाई। सुनु मेरी माई।

मृदुल बचन हरि के सुनि सखियाँ कर जोरैं मुसक्याई। सुनु मेरी माई।

भाग्य सराहैं अपनी अपनी नैन नीर झरि लाई। सुनु मेरी माई।

शीश नवाय चलैं निज निज घर हरि उर गये समाई। सुनु मेरी माई।३०।

जसुमति हरि को प्रेम बिबस ह्वै उर में लीन लगाई। सुनु मेरी माई।

यह पद प्रेम से पढ़ै सुनै जो ता को सुख हो भाई। सुनु मेरी माई।

श्री जगदम्बा दीन कहैं हरि मिलिहैं सत्य सुनाई। सुनु मेरी माई।३३।