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५४२ ॥ श्री रबाबी अबदुल गफ्फ़ार जी ॥ (३)

सब कौतुक है धनु धारी का मुरली धारी का चक्रधारी का।

जप जानै जो त्रिपुरारी का सो निरखै सब सुखकारी का।

लय ध्यान नूर लय जारी का अनहद घट बजत करारी का।

हरि यश मुनि देव उचारी का पीवै अमृत भरि क्यारी का।

यह पद है दीन भिखारी का सतगुरु करि तन मन मारी का।५।

मम वचन गहै भव पारी का जो कहा श्री उर गारी का।

निर्भय निर्वैर सम्हारी का सो बाजी पितु महतारी का।

सन्मुख षट रूप संवारी का तन त्यागत तौन पुकारी का।८।


कीर्तन १:-

बिश्व के माता सब सुख दाता निशि बासर नर नारी जपो।

सीता सिया जानकी जी कहि निशि बासर नर नारी जपो।

वैदेही जनकात्मजा कहि निशि बासर नर नारी जपो।

जनक कुमारी जनक दुलारी निशि बासर नर नारी जपो।

जनक किशोरी जनक लली कहि निशि बासर नर नारी जपो।५।

जनक की पुत्री भूमि सुता कहि निशि बासर नर नारी जपो।

जनक की बेटी जनक लाड़िली निशि बासर नर नारी जपो।७।


कीर्तन २:-

बिश्व की माता सब सुख दाता निशि बासर नर नारी भजौ।

श्री लक्षमी रमा और कमला निशि बासर नर नारी भजौ।१।


कीर्तन ३:-

बिश्व की माता सब सुख दाता निशि बासर नर नारी रटौ।

राधे राधा प्रिय राधिका निशि बासर नर नारी रटौ।

श्यामा कृष्णा और लाड़िली निशि बासर नर नारी रटौ।

बृष भानु लली बृष भानु सुता कहि निशि बासर नर नारी रटौ।

बृष भानु नन्दनी बृष भानु कुंवरि कहि निशि बासर नर नारी रटौ।५।


कीर्तन ४:-

बिश्व की माता सब सुख दाता निशि वासर नर नारी ररौ।

उमा शिवा गिरिजा महरानी निशि वासर नर नारी ररौ।

शैल सुता गिरिराज कुमारी निशि वासर नर नारी ररौ।

दक्ष सुता हेमाचल पुत्री निशि वासर नर नारी ररौ।

दक्ष किशोरी दक्ष कुमारी निशि वासर नर नारी ररौ।

वृषभानु दुलारी वृषभानु किशोरी निशि बासर नर नारी रटौ।

शैल नन्दनी दक्ष नन्दनी निशि वासर नर नारी ररौ।

पारवती जगदमबा अम्बा निशि वासर नर नारी ररौ।

देवी चन्डी शिव की रानी निशि वासर नर नारी ररौ।८।