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४९६ ॥ श्री बेकस शाह जी ॥


पद:-

यम काल मृत्यु माया सब दैत्य तन से भाजैं।

सतगुरु से नाम जानो प्रभु सामने में राजैं।

धुनि ध्यान नूर लय हो सुर मुनि मिलैं औ गाजैं।

अनहद मधुर सुनो घट कैसी उठैं अवाजैं।

तन मन को प्रेम के संग एकतार करि जे माजैं।

बेकस कहैं ते तन तजि साकेत में विराजैं।६।