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३६५ ॥ श्री निशाना शाह जी ॥


शेर:-

सीखो निशाना नाम का कहते निशाना शाह हैं।

मुरशिद बिना किमि पास हो यह खेल तो अवगाह हैं।१।

दीन बनि लो नाम वल्ली यह मेरी सल्लाह है।

ध्यान करि मुरशिद के लागौ वे चतुर मल्लाह हैं।२।


पद:-

लखो नित सन्मुख जनक जमाई।

संग बहू श्री दशरथ जी की शोभा बरनि न जाई॥

राम श्याम रंग परम मनोहर सीता गौर सोहाई।

भक्तन हित सर्गुन तन धरि कै सुर मुनि सुख दियो आई।

एक बार दर्शन हो जिनको छूटै तन मन काई।५।

माया चोर शान्ति ह्वै बैठै सकत न नैन घुमाई।

सतगुरु करि सुमिरन विधि जानै नाम खुलै भन्नाई।

हाड़ हाड़ रग रग सब रोवन हर शै में धुनि छाई।

तब मन भागि कहां को जावै हर दम सुनै बधाई।

अमृत पियो मिलैं सब सुर मुनि बिहँसि लेंय उर लाई।१०।

नागिनि जगै चक्र सब बेधै कमलन महक उड़ाई।

आदि पुरुष औ आदि शक्ति जो सब के पितु औ माई।

तिनको छोड़ि ठेकान मिलै कहं जिन सब सृष्टि बनाई।

या से भजन करो नर नारी छोड़ि कै चंचलताई।

कहैं निशाना शाह नहीं तो रोये नहीं सिराई।१६।


शेर:-

ख्वाब में गर हों दरस सिय राम राधेश्याम के।

कहते निशाना शाह तन मन शांति हों नर बाम के।१।

देव मुनि शक्तिन के तन धरि ठगिनि दर्शन देत हैं।

कहते निशाना शाह तन मन खीचिं सब धन लेत है ।२।

सुर मुनि व शक्तिन के दरस से होत तन मन शान्ति है।

कहते निशाना शाह मानौ तब न कोई भ्रान्ति है।३।

दीनता औ शान्ति गहि सतगुर कदम की आस लो।

कहता निशाना शाह तन तजि निज वतन में बास लो।४।

ठगिनी से बचने का तरीका इस से बढ़ कर है नहीं।

कहते निशाना शाह चेतो सखुन यह मानो सही।५।