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३६६ ॥ श्री हुल्लर शाह जी ॥


पद:-

रेफ विन्दु से राम शब्द भा राम से ऊँ बना है।

ऊँ से ब्रह्मा विष्णु शम्भु भये सृष्टि का खेल सना है।

सतगुरु करि जप भेद जान ले ताको शांति मना है।

ध्यान प्रकाश समाधि नाम धुनि सन्मुख रूप तना है।

सुर मुनि मिलैं सुने घट अनहद तन के असुर हना है।५।

अमृत पान करै जब चाहै पासै कूप खना है।

मृत्यु दूर ते लखि कर जोरै करि नहिं सकत फना है।

अंत त्यागि तन निजपुर राजै गर्भ न फेरि छना है।८।