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३६४ ॥ श्री मगन शाह जी ॥


पद:-

भक्तों बाल रूप सरकार हमारे तन मन चित्त औरैं। हमारे तन मन चित्त।

सतगुरु करि सुमिरन विधि जानो हटै दुःख लौरै। हमारे तन मन चित्त।

तोतरि बयन कहैं हँसि हँसि कै कूदि कूदि ठौरैं। हमारे तन मन चित्त।

कटि करधनी पगन दोऊ पौटा बाजैं जब दौरैं। हमारे तन मन चित्त।

भोजन करन संग में बैठैं छीन खात कौरैं। हमारे तन मन चित्त।५।

मञ्जन करन जाँय जमुना तट सिखलावैं पौरें। हमारे तन मन चित्त।

भद्र होन जब चलैं कहैं हम प्रथम होव छौरें। हमारे तन मन चित्त।

सोवैं संग लिपटि कै उर में उठैं होत भोरैं। हमारे तन मन चित्त।

पाँच वर्ष की वयस अमित बल दोऊ कर गहि दौरैं। हमारें तन मन चित्त।

चकई सम घूमैं चारों दिसि चलैं न कछु गौरैं। हमारे तन मन चित्त।१०।

मुरली फूँकि बगल तर दावैं फेरि दृगन कोरैं। हमारे तन मन चित्त।

कांधे चढ़ि दोऊ पगन हिलावैं शिषा पकरि छोरैं। हमारे तन मन चित्त।

भांति भांति के खेल दिखावैं शर्म भर्म फोरैं। हमारे तन मन चित्त।

पुलकावली कंठ हो गद गद नयन झरैं लोरैं। हमारे तन मन चित्त।

ऐसे दीन दयाल दयानिधि ते जे मुख मोरैं। हमारें तन मन चित्त।१५।

तिनको ठौर ठिकान नहीं कहुँ जिमि पागल बौरैं। हमारे तन मन चित्त।

तन मन प्रेम लगाय भजो नित्य सब के शिर मौरै। हमारे तन मन चित्त।

सुर मुनि सब जिनका गुन गावत झलैं पंख चौरैं। हमारे तन मन चित्त।

जियतै जानि मानि सुख लूटैं ते असुरन तोरैं। हमारे तन मन चित्त।

नाहीं तो यम अन्त पकरि लै चलत न कछु जोरैं। हमारें तन मन चित्त।२०।

हर दम तहँ पर पड़ै पिटाई कहैं अधम चोरैं। हमारे तन मन चित्त।

क्षुदा प्यास हित प्राणी बोलैं मुख में मल घोरैं। हमारे तन मन चित्त।

बांधि अथाह हौज में फेंकैं उठत विकट भौरैं। हमारे तन मन चित्त।

अति अंधियार फिरै चौतरफा हाय हाय औरै। हमारे तन मन चित्त।२४।


दोहा:-

मगन शाह तो मगन हैं लगन लगी निशि वार।

सतगुरु से जप भेद ले सो होवै भव पार।१।