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१९४ ॥ श्री तुका राम जी का कीर्तन ॥


पद:-

सीता राम कहौ राधेश्याम कहौ रमा विष्णु कहौ सुधरै बिगरी।१।

उमा शम्भु कहौ शारद ब्रह्मा कहौ सरस्वति गणपति कहौ सुधरै बिगरी।२।

काली दुर्गा कहौ ज्वाला चण्डी कहौ गोमा सरयू कहौ सुधरै बिगरी।३।

हनुमत भैरव कहौ गंगा यमुना कहौ षट मुख शेषै कहौ सुधरै बिगरी।४।