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१९५ ॥ श्री राम राय जी का कीर्तन ॥


पद:-

राम श्याम कहौ विष्णु शम्भु कहौ ब्रह्मा गणपति कहौ पार हो जक्त से।१।

सीता राधे कहौ रमा गिरिजा कहौ शारद सरस्वति कहौ पार हो जक्त से।२।

हनुमत भैरव कहौ षट मुख लोमश कहौ गंगा यमुना कहौ पार हो जक्त से।३।

दुर्गा काली कहौ गोमा सरयू कहौ चण्डी ज्वाला कहौ पार हो जक्त से।४।