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२७ ॥ श्री इसुफ़ खाँ साहब जी ॥


पद:-

राधिका श्याम मम सन्मुख हर समय हो रही झांकी।

ध्यान लै नूर हो चम चम नाम धुनि की चलै चाकी।

देव मुनि आय दें दर्शन कहैं हरि जस मधुर छाकी।

प्रेम तन मन से करि सूरत सवद पर जौन कोइ टांकी।

मिलै आनन्द दिन पर दिन रहै फिर कछु नहीं बाकी।

करो मुरशिद पता पावो अरज मानो युसुफ़ खां की।६।