साईट में खोजें

३८० ॥ श्री रामा जी ॥

(अवध वासी)

 

चौपाई:-

राम बिवाह में तन मन पागा। दूसर और न भायो रागा।१।

रामा कहैं त्यागि तन भाई। हरिपुर जाय बास हम पाई।२।