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३७९ ॥ श्री गोबर्द्धन दास जी ॥

 (अवध वासी)

 

चौपाई:-

बाण सेज पर बैठि के भाई। सुमिरेन राम नाम हर्षाई।१।

अन्त समय हरिपुर सुख पावा। कहैं गोबर्द्धन सत्य बतावा।२।