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७१९ ॥ श्री नालायक शाह जी ॥

दोहा:-

नालायक कह नाम धुनि जब तक नहिं खुलि जाय।

तब तक आवा गमन का फन्दा मिटै न भाय।१।

सब सिद्धिन को दाब दे नाम की धुनि रंकार।

नालायक कह मम बचन मानि होओ भव पार।२।