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५४२ ॥ श्री रबाबी अबदुल गफ्फ़ार जी ॥

पद:-

सिय राम श्याम प्रिय विष्णु रमा शिव गिरिजा तन मन भावन जी।

शारद बिधि गणपति औ सरस्वति श्री सुरपति शची सोहावन जी।

श्री शेष कमठ दिग्गज बराह पृथ्वी को भार उठावन जी।

वाराह नृसिंह औ मच्छ कच्छ हय ग्रीव रूप क्या बावन जी।

बजरंग खड़ानन श्री भैरव क्या बीरभद्र भय खावन जी।

 

काली दुर्गा ज्बाला अनन्त शक्ती बन दुःख हटावन जी।

रामा नन्द बुद्ध गौराङ्ग लक्षमणा चार्य्य जक्त सुख छावन जी।

शंकरा चार्य्य औ ज्ञानेश्वर नानक तुलसी सूर समर्थ कहावन जी।

अश्वनी कुमार औ धनवन्तरि लुकमान अरस्तू पावन जी।

श्री ईसा और मोहम्मद क्या हरि प्रेम में तन मन तावन जी।१०।

 

रैदास कबीर और दादू सुन्दर क्या हर्ष बढ़ावन जी।

श्री श्वपच सदन रंका बंका पीपा सीता सुख दावन जी।

सेवरी करमा कुबजा मीरा नित प्रेम अमी बरसावन जी।

श्री तुकाराम और एकनाथ नरसी हुंडी लिखवावन जी।

केवट गोरख श्री धना भक्त वे बीज खेत उपजावन जी।१५।

 

जगजीवन जग में भेजा हरि अभरन जल दूध वनावन जी।

औलिया पैगम्बर पीर कुतुब दरवेश गदा कहवावन जी।

आलिम फकीर मुल्ला मोमिन हाफिज कारी बतलावन जी।

सव विश्व विराट रूप में है सुर मुनि बनि खेल मचावन जी।

सतगुरु करि जियतै जो जानै तब छूटै आवन जावन जी।२०।