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५४१ ॥ श्री बाली खल्ल जी ॥


पद:-

भूठे वचन कभी मत बोलो।

सतगुरु करि श्रुति नयनन खोलो।

ध्यान प्रकाश समाधि नाम धुनि पाय जियति सुख सोलो।

अनहद सुनौ देव मुनि दर्शैं अमृत पिओ अतोलो।

राम सिया प्रिय श्याम रमा हरि निरखौ रूप अमोलो।

अन्त त्यागि तन अचल धाम लो फिर जग में नहिं डोलो।६।