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२९५ ॥ श्री मुनव्वर शाह जी ॥

बार्तिक:-

तृषना-लालच-सूम-कंजूस-लोभी-मूंजी एक नाम से ६ हो गये। यह मर कर प्रेत योनि भोगता है फिर नर्क भेजे जाते हैं। यह दया धर्म से अलग हैं। लोभ, काम, क्रोध मद मोह से बड़ा है। यह मनुष्य को ८४ योनि से निकलने नहीं देता। हर समय उसका मन धन में लगा रहता है। उसका पढ़ना सुनना उपदेश करना गलत ज्ञान है।