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२९४ ॥ श्री कुकरम शाह जी ॥

(अपढ़, सिंध, हैदराबाद)।

 

पद:-

राम नाम में लागौ लागौ।

यह नर देह सुरन को दुर्लभ, तन मन प्रेम में पागौ पागौ।

सतगुरु से सब भेद जानि कै, जियतै में अब जागौ जागौ।

कुकरम शाह कहैं भक्तन हित, तन तजि निजपुर भागौ भागौ।४।

 

चौपाई:-

जिनके दया धरम है मन में। उसकी गणना है सुर गण में।

जिनके दया धरम नहिं मन में। उनकी गणना है जम गण में।६।