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२४१ ॥ श्री अंधे शाह जी ॥ (२४३)


शेर:-

जब प्रेम हमारा है प्रभु से परपंच हमारा क्या करिहै।

अन्धे कहैं राम नाम की धुनि परपंच को टंचि के खुद जरिहै॥

पाक रह बेबाक रह। अन्धे कहैं हरि पास रह।२।