साईट में खोजें

१ ॥ श्री अंधे शाह जी ॥ (१६१)


पद:-

मन जिसका लगा है नाम से। नहीं जाता कभी बुरे काम से॥

करैं बातैं मगन सिया राम से। आसक्ती हटी धन धाम से॥

भया जिस दिन बिलग नर चाम से। गया निज पुर दिब्य बीमान से।६।