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१ ॥ श्री अंधे शाह जी ॥ (१२५)


पद:-

करिये हरि सुमिरन का परचा।

सतगुरु से सब भेद जानिके मति करना कहुँ चरचा।

चुपके बैठि हिसाब लगावो पावो पूरा खरचा।

अन्धे कहैं रजिस्ट्री आई अव्वल नम्बर परचा।४।