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१ ॥ श्री अंधे शाह जी ॥(७२)


पद:-

तकदीर औ तदवीर में विश्वास ही का मेल है।

अन्धे कहैं सतगुरु करै सो जान ले क्या खेल है।

सूरति शब्द एक तार हो तब जीव ब्रह्म से मेल है।

तन छोड़ि के निज धाम ले कटि गई गर्भ की जेल है।४।