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१ ॥ श्री अंधे शाह जी ॥(६३)


पद:-

बनि दीन इस जग में रहौ, कटु बैन सुनि करके सहौ।

सतपंच में हर दम रहौ, परपंच को जियतै दहौ।

सतगुरु बचन को कसि गहौ, तब गर्भ में काहे ढहौ।

अन्धे कहै सब सुख लहौ, बातों में परि कर मत बहौ।४।