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१ ॥ श्री अंधे शाह जी ॥(५८)


पद:-

लिखत सुनत औ पढ़त बतावत शब्द शब्द सब सच्चे।

अन्धे कहैं प्रेम नहिं नेकौ दोनो दिशि ते कच्चे।

जन्मत मरत बिना सतगुरु के पड़े दुःख के गच्चे।

नाम रूप परकास समाधी जियति मिलै तब सच्चे।४।