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१ ॥ श्री अंधे शाह जी ॥(४)


पद:-

परकास लै धुनि नाम सन्मुख रूप सीता राम का।

रोयाँ न बाँका कर सकै अंधे कहैं नर बाम का।

सतगुरु से जप बिधि जानि कै सरकस लखौ हरि नाम का।

अंधे कहैं तन छोड़ि कै बिश्राम लो निज धाम का।४।