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४४१ ॥ श्री हुरदंगे शाह जी॥


पद:-

कण्ठी बांधौ कसि कै गोली।

सतगुरु से सुमिरन बिधि जानो, बातैं छोड़ो पोली।

ध्यान प्रकाश समाधि नाम धुनि हर शै सुनु बोली।

सुर मुनि मिलैं सुनौ घट अनहद अमृत पिओ ढकोली।

नागिन चक्र कमल सब जागैं कर्म जलै जिमि होली।५।

सिया राम की झाँकी सन्मुख हर दम रहै न डोली।

अन्त त्यागि तन निज पुर राजौ बन बैठो तहँ भोली।

जियतै में सब यह तय होवै जीतै जग जिमि गोली।८।