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३९४ ॥ श्री अम्बर बारी जी ॥


पद:-

किया हरि पाप अति भारी कि तुम जानौ कि हम जानै।१।

ख़ता अब माफ़ हो सारी कि तुम जानौ कि हम जानै।२।

आप बिन कौन निस्तारी कि तुम जानौ कि हम जानै।३।

बिनय करता अम्बर बारी कि तुम जानौ कि हम जानै।४।