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३३६॥ श्री बहिरे शाह जी॥

भक्तों करो शिष्य असुरन दल।

बड़े गुलाम नेक नहिं मानत हर दम करते हलचल।

सतगुरु करौ परै तब सब के तन मन में बड़ी खल भल।

ध्यान प्रकाश समाधि नाम धुनि पाय फँसावो दल दल।

सन्मुख राम सिया रहैं छाये जिनके बल से सब बल।

बहिरे कहैं अन्त निज पुर हो फेरि सकौ नहिं जग ढल।६।