साईट में खोजें

३१४. ॥ श्री सीधे शाह जी॥


पद:-

झूठ समान पाप नहिं कोई।

सारे पाप सहैं पृथ्वी जी झूठ सुनत दें रोई।

भार से तन मन ब्याकुल होवै जावै सुधि बुधि खोई।

हरि किरपा ते थोड़ी देर में दु:ख जाय सब धोई।

सबकी सुनै सहै नहिं बोलै ऐसि मातु को होई।५।

जीवन के पालन हित इनको राम सिया ने पोई।

सतगुरु करि सुमिरन बिधि जानो नाम बीज लो बोई।

सन्मुख जोड़ी युगुल की झाँकी प्रेम से लीजै नोई।

ध्यान धुनी परकाश दशालय दे दोउ कर्म निचोई।

सुर मुनि आवैं संग बतलावैं लेहु सबन तब टोई।१०।

श्री गिरिजा जी नित्य खिलावैं घी शक्कर की लोई।

जो नहिं ख्याल करैं मम बानी सो जग कूड़ा ढोई।१२।