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२५३ ॥ श्री दुख हरन दास जी ॥

जारी........

जयति जयति द्रोण और द्रोणी दुर्योधन।

जयति जयति बावन नित बलि को देत दर्शन।

जयति जयति शूकर मही असुर मारिथाप्यो।

जयति जयति नर हरि भक्त प्रह्लाद रक्षक।

जयति जयति कच्छप दोउ भक्तन सुधारय्यौ।१००।

जयति जयति मच्छव जलधि शंखा सुर हतैया।

जयति जयति कच्छप शेष तुम पर चढ़े हैं।

जयति जयति दिग़ाज धरणिशिर जल खड़े हैं।

जयति जयति बाराह अवनि आपौ हौ थाम्हे।

जयति जयति नन्दी मूष सिंहै मयूरै।१०५।

जयति जयति हंसै श्वान भैरव के बाहन।

जयति जयति खर स्कर कागा औ महिषा।

जयति जयति रघुबंश कुल गुरु वशिष्ठै।

जयति जयति यादव कुल गुरु घोर अंगिरस।

जयति जयति सब अस्त्र सब बस्त्र भूषण।११०।

जयति जयति अष्टाङ्ग योग हठ योग राजयोगै।

जयति जयति चारिउ बेद आयुर्वेद षट शास्त्रै।

जयति जयति श्री उपनिषद और संहिता।

जयति जयति अठारह पौराण महाभारथै।

जयति जयति श्री बालमीकी वशिष्ठ योगै।११५।

जयति जयति श्री भागवत देवी भागवत।

जयति जयति गीता श्री हरि मुख कि बानी।

जयति जयति मानस शम्भु उर में समानी।

जयति जयति सुख सागर प्रेम सागर।

जयति जयति श्री गीत गोबिन्द राधा अष्टक।१२०।

जयति जयति श्री बृज बिलास बिश्राम सागर।

जयति जयति श्री कृष्ण गीतावली रुक्मणी मंगल।

जयति जयति श्री बिनय पत्रिका जानकी मंगल।

जयति जयति श्री कवित्त रामायण दोहावली जी।

जयति जयति श्री राम नाम कलामणि कोष मंजूषा गीतावली जी।१२५।

जयति जयति श्री हनुमान नाटक हनुमान बाहुक।

जयति जयति श्री हनुमान चालीसा हनुमान साठिका।

जयति जयति श्री बजरंग बाण हनुमान पंचक।

जयति जयति श्री पंच मुखी एक मुखी हनुमान पताका।

जयति जयति श्री हनुमान दुर्ग हनुमान जंजीरा।१३०।

जयति जयति श्री बायबिल कुरान भिश्त देनी।

जयति जयति सम मंत्र स्तोत्र सारे।

जयति जयति सब तंत्र औ यंत्र प्यारे।

जयति जयति सब दिन सब तिथि सब महीना।

जयति जयति सब ग्रह सब राशि सब महूरत।१३५।

जयति जयति सब नक्षत्र सब समय सब दिशन को।

जयति जयति सब सम्बत और शाके।

जयति जयति सब सन ईस्वी और फ़सली।

जयति जयति विद्या सब लोकन देश ग्रामन।

जयति जयति अमृत बिष सर्व अन्ने।१४०।

जयति जयति श्री समर्थ राम दासै।

जयति जयति श्री बालमीक और ब्यासै।

जारी........