२२० ॥ श्री खट खट शाह जी ॥
पद:-
सुनिये राम नाम की टीप।
सतगुरु करि सुमिरन बिधि जानो उघरैं दोनों कीप।
भीतर बाहेर होय एक रस प्रेम में जाओ लीप।
ध्यान प्रकाश समाधि जाय चढ़ि जहां रूप नहिं सीप।
तन के असुर भागि सब जावैं कौन सकै तब छीप।५।
अनहद सुनौ देव मुनि भेटैं शिर पर फेरैं चीप।
सन्मुख राम सिया छबि छावैं जियति मिटै भव खीप।
लोक भुवन औ खण्ड दरश हित आवैं देश औ द्वीप।
सूरति शब्द क मारग यह है जो जन लेवैं हीप।
खट घट कहैं अन्त ले निजपुर फेरि न आवै पीप।१०।