साईट में खोजें

२१९ ॥ श्री लब लब शाह जी ॥


पद:-

जोगी न तू भोगी न तू रोगी न तू ढोंगी न तू तू तो सदा है एक रस

सतगुरु से मारग जान ले।

पण्डित न तू सण्डित न तू छण्डित न तू मण्डित न तू तू तो सदा है...।

खण्डित न तू हण्डित न तू झुण्डित न तू मुण्डित न तू तू तो सदा है..।

मरता न तू जरता न तू सरता न तू हरता न तू तू तो सदा है...।

कटता न तू फटता न तू लड़ता न तू भगता न तू तू तो सदा है...।५।

वे करता न तू परता न तू चलता न तू ठरता न तू तू तो सदा है...।

धरता न तू उड़ता न तू डुबता न तू चिढ़ता न तू तू तो सदा है...।

बढ़ता न तू घटता न तू घुलता न तू हिलता न तू तू तो सदा है...।

छोटा न तू मोटा न तू रोता न तू सोता न तू तू तो सदा है...।

खाता नतू पीता न तू दाता न तू मँगता न तू तू तो सदा है...।१०।

पापी न तू टापी न तू दापी न तू श्रापी न तू तू तो सदा है...।

बाजै न तू गाजै न तू साजै न तू लाजै न तू तू तो सदा है...।

आता न तू जाता न तू माता न तू ताता न तू तू तो सदा है...।

मानी न तू सानी न तू घानी न तू बानी न तू तू तो सदा है...।

साहू न तू डाहू न तू हाहू न तू नाहू तू तू तो सदा है...।

क्षत्री न तू शस्त्री न तू चित्री न तू स्त्री न तू तू तो सदा है...।१६।