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१९८ ॥ श्री छल्ला शाह जी ॥


पद:-

सुनिये नाम कि धुनि रग रोवन।

मुरशिद करि जपि की बिधि जानो मन करि प्रेम में मोवन॥२।

ध्यान प्रकाश समाधी होवै जो भव तापक धोवन।

अनहद सुनो पिओ घट कौसर करो रहेम का बोवन।

हर दम खोदा को सन्मुख देखो फिर न गर्भ हो रोवन।

छल्ला शाह कहैं सो उबरै करै सुरति से नोवन॥