१२९ ॥ श्री राम पियारी माई जी ॥
पद:-
कन्हैया छवीला रँगीला रसीला सुरीला कहाँ गा।
ढूढ़ो घट में किधर को चला गा॥
हठीला कसीला छरीला कटीला कहाँ गा। ढूढ़ो०॥
महीला दहीला गहीला कहीला कहाँ गा। ढूढ़ो०॥
हँसीला गरीला खरीला जरीला कहाँ गा। ढूढ़ो०॥
चखीला नोकीला चोखीला बटीला कहाँ गा। ढूढ़ो०॥
घटीला गँसीला भगीला दरीला कहाँ गा। ढूढ़ो०।६।
मगीला लसीला जोसीला लटीला कहाँ गा। ढूढ़ो०॥
तरीला छहीला बँसीला बहीला कहाँ गा। ढूढ़ो०॥
घटीला फोरीला हटीला चोटीला कहाँ गा। ढूढ़ो०॥
झोटीला नोचीला बनीला सखीला कहाँ गा। ढूढ़ो०॥
लतीला मरीला पगीला छगीला कहाँ गा। ढूढ़ो०॥
परीला पटीला लोटीला गोदीला कहाँ गा। ढूढ़ो०।१२।
दोहा:-
मिला रहै औ ना मिलै, क्या है खेल बिचित्र।
सतगुरु से उपदेश लै, देखो नित्य चरित्र॥