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१०० ॥ श्री संत शरन जी ॥


पद:-

चाहौ जो अगर हरि की भक्ती बजरंग से प्रेम लगावो तो।

सुर मुनि जो कीरति गाय गये सो कहि कर याद दिलावो तो।

ह्वै कर दयाल कर दें निहाल उनकी तुम शरनि में जावो तो।

कहते हैं संत शरन भाई यह बैन सुनो उर लावो तो।४।