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२७ ॥ श्री जगदेई माई जी ॥

पद:-

जोगिन का वेष बनाऊँ हरि तेरे ताईं।१।

घर घर अलख जगाऊँ हरि तेरे ताईं।२।

तन मन प्रेम पगाऊँ हरि तेरे ताईं।३।

मिलि फिरि तब पुर जाँऊ हरि तेरे ताईं।४।