४ ॥ श्री शिव नारायण जी ॥
पद:-
जै जै श्री राम ब्रह्म जै जै श्री कृष्ण ब्रह्म
जै जै श्री बिष्णु ब्रह्म मेरी सुधि लीजै।१।
दीनन के दीना नाथ स्वामी मैं हौं अनाथ
करिये अब प्रभु सनाथ दर्शन दै दीजै।२।
पापन का शीश भार बूड़त हौं बीच धार
लीजै कर गहि उबार दया दृष्टि कीजै।३।
अगणित पापी अराम करते प्रभु तुम्हरे धाम
रहते हर दम अकाम आयू नहिं छीजै।४।